गजभुजङ्गविहङ्गमबन्धनं शशीदिवाकरयोर्ग्रहपीडनम् ॥ मतिमत्तां च विलोक्य दरिद्रतां विधिरहो बलवानिति मे मतिः ॥
जे बंधनें गजभुजंगविहंगमाला कीं राहुवेध रजनीधदिवाकराला ॥ दारिद्र्य पंडितजनांवरि फार लोटे हें पाहतां अदृष्ट मज बलिष्ठ वाटे ॥