क्षुत्क्षामोऽपि
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क्षुत्क्षामोऽपि जराकृशोऽपि शिथिलप्रायोऽपि कष्टां दशा - |
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झाला क्षीण बहु क्षुधेस्तव जरी की व्यापिला वार्धकें |
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क्षुत्क्षामोऽपि जराकृशोऽपि शिथिलप्रायोऽपि कष्टां दशा - |
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झाला क्षीण बहु क्षुधेस्तव जरी की व्यापिला वार्धकें |