कर्मणि व प्रयोजकरुपे (तृ. पु. ए. व.)- ४
धातू | कर्मणिरूप | प्रयोजकरूप |
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सम् + जन्-जाय् | संजन्यते | संजनयति - ते |
जागृ | जाग्रियते | जागरयति - ते |
जि-जय् | जीयते | जापयति - ते |
जीव् | जीव्यते | जीवयति - ते |
जृम्भ् | जृम्भ्यते | जृम्भयति - ते |
जृ | जीर्यते | जारयति - ते |
ज्वल् | ज्वल्यते | ज्वलयति - ते |
वि + तन् | वितन्यते | वितानयति - ते |
प्र + तन् | प्रतन्यते | प्रतानयति - ते |
आ + तन् | आतन्यते | आतानयति - ते |
तम्-ताम् | ताम्यते | तामयति - ते |
तड्-ताड् | ताड्यते | ताडयति - ते |
तक्ष् | तक्ष्यते | तक्षयति - ते |
तन् | तन्यते | तानयति - ते |
तप् | तप्यते | तापयति - ते |
तुल्-तोल् | तोल्यते | तोलयति - ते |
सम् + तुष् | संतुष्यते | संतोषयति - तेे |
तुष् | तुष्यते | तोषयति - ते |
तृ-तर् | तीर्यते | तारयति - ते |
तृप् | तृप्यते | तर्पयति - ते |
त्रस् | त्रस्यते | त्रासयति - ते |
त्रै-त्राय् | त्रीयते | त्रापयति - ते |
त्वर् | त्वर्यते | त्वरयति - ते |
त्यज् | त्यज्यते | त्याजयति - ते |
दल् | दल्यते | दलयति - ते |
दह् | दह्यते | दहयति -ते |
दय् | दयते | दययति - ते |
दरिद्रा | दरिद्रीयते | दरिद्रायति - ते |
दा-यच्छ् | दीयते | दापयति -ते |
प्रति + दा | प्रतिदीयते | प्रतिदापयति - ते |
वि + आ + दा | व्यादीयते | व्यादापयति - ते |
आ + दा | आदीयते | दापयति - ते |
नि + द्रा | निद्रीयते | निद्रापयति - ते |
दा | दीयते | दापयति - ते |
दा | दीयते | दापयति - ते |
आ + दिश् | आदिश्यते | आदेशयति - ते |
दिश् | दिश्यते | देशयति - ते |
दु | दूयते | दवयति - ते |