८. २. १ पूर्वत्रासिद्धम् |
८. २. २ नलोपः सुप्स्वरसंज्ञातुग्विधिषु कृति |
८. २. ३ न मु ने |
८. २. ४ उदात्तस्वरितयोर्यणः स्वरितोऽनुदात्तस्य |
८. २. ५ एकादेश उदात्तेनोदात्तः |
८. २. ६ स्वरितो वाऽनुदात्ते पदादौ |
८. २. ७ नलोपः प्रातिपदिकान्तस्य |
८. २. ८ न ङिसम्बुद्ध्योः |
८. २. ९ मादुपधायाश्च मतोर्वोऽयवादिभ्यः |
८. २. १० झयः |
८. २. ११ संज्ञायाम् |
८. २. १२ आसन्दीवदष्ठीवच्चक्रीवत्कक्षीवद्रुमण्वच्चर्मण्वती |
८. २. १३ उदन्वानुदधौ च |
८. २. १४ राजन्वान् सौराज्ये |
८. २. १५ छन्दसीरः |
८. २. १६ अनो नुट् |
८. २. १७ नाद्घस्य |
८. २. १८ कृपो रो लः |
८. २. १९ उपसर्गस्यायतौ |
८. २. २० ग्रो यङि |
८. २. २१ अचि विभाषा |
८. २. २२ परेश्च घाङ्कयोः |
८. २. २३ संयोगान्तस्य लोपः |
८. २. २४ रात् सस्य |
८. २. २५ धि च |
८. २. २६ झलो झलि |
८. २. २७ ह्रस्वादङ्गात् |
८. २. २८ इट ईटि |
८. २. २९ स्कोः संयोगाद्योरन्ते च |
८. २. ३० चोः कुः |
८. २. ३१ हो ढः |
८. २. ३२ दादेर्धातोर्घः |
८. २. ३३ वा द्रुहमुहष्णुहष्णिहाम् |
८. २. ३४ नहो धः |
८. २. ३५ आहस्थः |
८. २. ३६ व्रश्चभ्रस्जसृजमृजयजराजभ्राजच्छशां षः |
८. २. ३७ एकाचो बशो भष् झषन्तस्य स्ध्वोः |
८. २. ३८ दधस्तथोश्च |
८. २. ३९ झलां जशोऽन्ते |
८. २. ४० झषस्तथोर्धोऽधः |
८. २. ४१ षढोः कः सि |
८. २. ४२ रदाभ्यां निष्ठातो नः पूर्वस्य च दः |
८. २. ४३ संयोगादेरातो धातोर्यण्वतः |
८. २. ४४ ल्वादिभ्यः |
८. २. ४५ ओदितश्च |
८. २. ४६ क्षियो दीर्घात् |
८. २. ४७ श्योऽस्पर्शे |
८. २. ४८ अञ्चोऽनपादाने |
८. २. ४९ दिवोऽविजिगीषायाम् |
८. २. ५० निर्वाणोऽवाते |
८. २. ५१ शुषः कः |
८. २. ५२ पचो वः |
८. २. ५३ क्षायो मः |
८. २. ५४ प्रस्त्योऽन्यतरस्याम् |
८. २. ५५ अनुपसर्गात् फुल्लक्षीबकृशोल्लाघाः |
८. २. ५६ नुदविदोन्दत्राघ्राह्रीभ्योऽन्यतरस्याम् |
८. २. ५७ न ध्याख्यापॄमूर्छिमदाम् |
८. २. ५८ वित्तो भोगप्रत्यययोः |
८. २. ५९ भित्तं शकलम् |
८. २. ६० ऋणमाधमर्ण्ये |
८. २. ६१ नसत्तनिषत्तानुत्तप्रतूर्तसूर्तगूर्तानि छन्दसि |
८. २. ६२ क्विन्प्रत्ययस्य कुः |
८. २. ६३ नशेर्वा |
८. २. ६४ मो नो धातोः |
८. २. ६५ म्वोश्च |
८. २. ६६ ससजुषो रुः |
८. २. ६७ अवयाःश्वेतवाःपुरोडाश्च |
८. २. ६८ अहन् |
८. २. ६९ रोऽसुपि |
८. २. ७० अम्नरूधरवरित्युभयथा छन्दसि |
८. २. ७१ भुवश्च महाव्याहृतेः |
८. २. ७२ वसुस्रंसुध्वंस्वनडुहां दः |
८. २. ७३ तिप्यनस्तेः |
८. २. ७४ सिपि धातो रुर्वा |
८. २. ७५ दश्च |
८. २. ७६ र्वोरुपधाया दीर्घ इकः |
८. २. ७७ हलि च |
८. २. ७८ उपधायां च |
८. २. ७९ न भकुर्छुराम् |
८. २. ८० अदसोऽसेर्दादु दो मः |
८. २. ८१ एत ईद्बहुवचने |
८. २. ८२ वाक्यस्य टेः प्लुत उदात्तः |
८. २. ८३ प्रत्यभिवादेअशूद्रे |
८. २. ८४ दूराद्धूते च |
८. २. ८५ हैहेप्रयोगे हैहयोः |
८. २. ८६ गुरोरनृतोऽनन्त्यस्याप्येकैकस्य प्राचाम् |
८. २. ८७ ओमभ्यादाने |
८. २. ८८ ये यज्ञकर्मणि |
८. २. ८९ प्रणवष्टेः |
८. २. ९० याज्याऽन्तः |
८. २. ९१ ब्रूहिप्रेस्यश्रौषड्वौषडावहानामादेः |
८. २. ९२ अग्नीत्प्रेषणे परस्य च |
८. २. ९३ विभाषा पृष्टप्रतिवचने हेः |
८. २. ९४ निगृह्यानुयोगे च |
८. २. ९५ आम्रेडितं भर्त्सने |
८. २. ९६ अङ्गयुक्तं तिङ् आकाङ्क्षम् |
८. २. ९७ विचार्यमाणानाम् |
८. २. ९८ पूर्वं तु भाषायाम् |
८. २. ९९ प्रतिश्रवणे च |
८. २. १०० अनुदात्तं प्रश्नान्ताभिपूजितयोः |
८. २. १०१ चिदिति चोपमाऽर्थे प्रयुज्यमाने |
८. २. १०२ उपरिस्विदासीदिति च |
८. २. १०३ स्वरितमाम्रेडितेऽसूयासम्मतिकोपकुत्सनेषु |
८. २. १०४ क्षियाऽऽशीःप्रैषेषु तिङ् आकाङ्क्षम् |
८. २. १०५ अनन्त्यस्यापि प्रश्नाख्यानयोः |
८. २. १०६ प्लुतावैच इदुतौ |
८. २. १०७ एचोऽप्रगृह्यस्यादूराद्धूते
पूर्वस्यार्धस्यादुत्तरस्येदुतौ |
८. २. १०८ तयोर्य्वावचि संहितायाम् |

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