७. २. १ सिचि वृद्धिः परस्मैपदेषु |
७. २. २ अतो र्लान्तस्य |
७. २. ३ वदव्रजहलन्तस्याचः |
७. २. ४ नेटि |
७. २. ५ ह्म्यन्तक्षणश्वसजागृणिश्व्येदिताम् |
७. २. ६ ऊर्णोतेर्विभाषा |
७. २. ७ अतो हलादेर्लघोः |
७. २. ८ नेड् वशि कृति |
७. २. ९ तितुत्रतथसिसुसरकसेषु च |
७. २. १० एकाच उपदेशेऽनुदात्तात् |
७. २. ११ श्र्युकः किति |
७. २. १२ सनि ग्रहगुहोश्च |
७. २. १३ कृसृभृवृस्तुद्रुस्रुश्रुवो लिटि |
७. २. १४ श्वीदितो निष्ठायाम् |
७. २. १५ यस्य विभाषा |
७. २. १६ आदितश्च |
७. २. १७ विभाषा भावादिकर्मणोः |
७. २. १८ क्षुब्धस्वान्तध्वान्तलग्नम्लिष्टविरिब्धफाण्टबाढानि
मन्थमनस्तमःसक्ताविस्पष्टस्वरानायासभृशेषु |
७. २. १९ धृषिशसी वैयात्ये |
७. २. २० दृढः स्थूलबलयोः |
७. २. २१ प्रभौ परिवृढः |
७. २. २२ कृच्छ्रगहनयोः कषः |
७. २. २३ घुषिरविशब्दने |
७. २. २४ अर्देः संनिविभ्यः |
७. २. २५ अभेश्चाविदूर्ये |
७. २. २६ णेरध्ययने वृत्तम् |
७. २. २७ वा दान्तशान्तपूर्णदस्तस्पष्टच्छन्नज्ञप्ताः |
७. २. २८ रुष्यमत्वरसंघुषास्वनाम् |
७. २. २९ हृषेर्लोमसु |
७. २. ३० अपचितश्च |
७. २. ३१ ह्रु ह्वरेश्छन्दसि |
७. २. ३२ अपरिह्वृताश्च |
७. २. ३३ सोमे ह्वरितः |
७. २. ३४ ग्रसितस्कभितस्तभितोत्तभितचत्तविकस्तविशस्तॄ-
शंस्तृशास्तृतरुतृतरूतृवरुतृवरूतृवरुत्रीरुज्ज्वलितिक्षरिति-
क्षमितिवमित्यमितीति च |
७. २. ३५ आर्धधातुकस्येड् वलादेः |
७. २. ३६ स्नुक्रमोरनात्मनेपदनिमित्ते |
७. २. ३७ ग्रहोऽलिटि दीर्घः |
७. २. ३८ वॄतो वा |
७. २. ३९ न लिङि |
७. २. ४० सिचि च परस्मैपदेषु |
७. २. ४१ इट् सनि वा |
७. २. ४२ लिङ्सिचोरात्मनेपदेषु |
७. २. ४३ ऋतश्च संयोगादेः |
७. २. ४४ स्वरतिसूतिसूयतिधूञूदितो वा |
७. २. ४५ रधादिभ्यश्च |
७. २. ४६ निरः कुषः |
७. २. ४७ इण्निष्ठायाम् |
७. २. ४८ तीषसहलुभरुषरिषः |
७. २. ४९ सनीवन्तर्धभ्रस्जदम्भुश्रिस्वृयूर्णुभरज्ञपिसनाम् |
७. २. ५० क्लिशः क्त्वानिष्ठयोः |
७. २. ५१ पूङश्च |
७. २. ५२ वसतिक्षुधोरिट् |
७. २. ५३ अञ्चेः पूजायाम् |
७. २. ५४ लुभो विमोचने |
७. २. ५५ जॄव्रश्च्योः क्त्वि |
७. २. ५६ उदितो वा |
७. २. ५७ सेऽसिचि कृतचृतच्छृदतृदनृतः |
७. २. ५८ गमेरिट् परस्मैपदेषु |
७. २. ५९ न वृद्भ्यश्चतुर्भ्यः |
७. २. ६० तासि च कॢपः |
७. २. ६१ अचस्तास्वत् थल्यनिटो नित्यम् |
७. २. ६२ उपदेशेऽत्वतः |
७. २. ६३ ऋतो भारद्वाजस्य |
७. २. ६४ बभूथाततन्थजगृम्भववर्थेति निगमे |
७. २. ६५ विभाषा सृजिदृषोः |
७. २. ६६ इडत्त्यर्तिव्ययतीनाम् |
७. २. ६७ वस्वेकाजाद्घसाम् |
७. २. ६८ विभाषा गमहनविदविशाम् |
७. २. ६९ सनिंससनिवांसम् |
७. २. ७० ऋद्धनोः स्ये |
७. २. ७१ अञ्जेः सिचि |
७. २. ७२ स्तुसुधूञ्भ्यः परस्मैपदेषु |
७. २. ७३ यमरमनमातां सक् च |
७. २. ७४ स्मिपूङ्रञ्ज्वशां सनि |
७. २. ७५ किरश्च पञ्चभ्यः |
७. २. ७६ रुदादिभ्यः सार्वधतुके |
७. २. ७७ ईशः से |
७. २. ७८ ईडजनोर्ध्वे च |
७. २. ७९ लिङः सलोपोऽनन्त्यस्य |
७. २. ८० अतो येयः |
७. २. ८१ आतो ङितः |
७. २. ८२ आने मुक् |
७. २. ८३ ईदासः |
७. २. ८४ अष्टन आ विभक्तौ |
७. २. ८५ रायो हलि |
७. २. ८६ युष्मदस्मदोरनादेशे |
७. २. ८७ द्वितीयायां च |
७. २. ८८ प्रथमायाश्च द्विवचने भाषायाम् |
७. २. ८९ योऽचि |
७. २. ९० शेषे लोपः |
७. २. ९१ मपर्यन्तस्य |
७. २. ९२ युवावौ द्विवचने |
७. २. ९३ यूयवयौ जसि |
७. २. ९४ त्वाहौ सौ |
७. २. ९५ तुभ्यमह्यौ ङयि |
७. २. ९६ तवममौ ङसि |
७. २. ९७ त्वमावेकवचने |
७. २. ९८ प्रतयोत्तरपदयोश्च |
७. २. ९९ त्रिचतुरोः स्त्रियां तिसृचतसृ |
७. २. १०० अचि र ऋतः |
७. २. १०१ जराया जरसन्यतरस्याम् |
७. २. १०२ त्यदादीनामः |
७. २. १०३ किमः कः |
७. २. १०४ कु तिहोः |
७. २. १०५ क्वाति |
७. २. १०६ तदोः सः सावनन्त्ययोः |
७. २. १०७ अदस औ सुलोपश्च |
७. २. १०८ इदमो मः |
७. २. १०९ दश्च |
७. २. ११० यः सौ |
७. २. १११ इदोऽय् पुंसि |
७. २. ११२ अनाप्यकः |
७. २. ११३ हलि लोपः |
७. २. ११४ मृजेर्वृद्धिः |
७. २. ११५ अचो ञ्णिति |
७. २. ११६ अत उपधायाः |
७. २. ११७ तद्धितेष्वचामादेः |
७. २. ११८ किति च |

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