६. २. १ बहुव्रीहौ प्रकृत्या पूर्वपदम् |
६. २. २ तत्पुरुषे
तुल्यार्थतृतीयासप्तम्युपमानाव्ययद्वितीयाकृत्याः |
६. २. ३ वर्णः वर्णेष्वनेते |
६. २. ४ गाधलवणयोः प्रमाणे |
६. २. ५ दायाद्यं दायादे |
६. २. ६ प्रतिबन्धि चिरकृच्छ्रयोः |
६. २. ७ पदेऽपदेशे |
६. २. ८ निवाते वातत्राणे |
६. २. ९ शारदेअनार्तवे |
६. २. १० अध्वर्युकषाययोर्जातौ |
६. २. ११ सदृशप्रतिरूपयोः सादृश्ये |
६. २. १२ द्विगौ प्रमाणे |
६. २. १३ गन्तव्यपण्यं वाणिजे |
६. २. १४ मात्रोपज्ञोपक्रमच्छाये नपुंसके |
६. २. १५ सुखप्रिययोर्हिते |
६. २. १६ प्रीतौ च |
६. २. १७ स्वं स्वामिनि |
६. २. १८ पत्यावैश्वर्ये |
६. २. १९ न भूवाक्चिद्दिधिषु |
६. २. २० वा भुवनम् |
६. २. २१ आशङ्काबाधनेदीयस्सु संभावने |
६. २. २२ पूर्वे भूतपूर्वे |
६. २. २३ सविधसनीडसमर्यादसवेशसदेशेषु सामीप्ये |
६. २. २४ विस्पष्टादीनि गुणवचनेषु |
६. २. २५ श्रज्याऽवमकन्पापवत्सु भावे कर्मधारये |
६. २. २६ कुमारश्च |
६. २. २७ आदिः प्रत्येनसि |
६. २. २८ पूगेष्वन्यतरस्याम् |
६. २. २९ इगन्तकालकपालभगालशरावेषु द्विगौ |
६. २. ३० बह्वन्यतरस्याम् |
६. २. ३१ दिष्टिवितस्त्योश्च |
६. २. ३२ सप्तमी सिद्धशुष्कपक्वबन्धेष्वकालात् |
६. २. ३३ परिप्रत्युपापा वर्ज्यमानाहोरात्रावयवेषु |
६. २. ३४ राजन्यबहुवचनद्वंद्वेऽन्धकवृष्णिषु |
६. २. ३५ संख्या |
६. २. ३६ आचार्योपसर्जनश्चान्तेवासी |
६. २. ३७ कार्तकौजपादयश्च |
६. २. ३८ महान् व्रीह्यपराह्णगृष्टीष्वासजाबाल-
भारभारतहैलिहिलरौरवप्रवृद्धेषु |
६. २. ३९ क्षुल्लकश्च वैश्वदेवे |
६. २. ४० उष्ट्रः सादिवाम्योः |
६. २. ४१ गौः सादसादिसारथिषु |
६. २. ४२ कुरुगार्हपतरिक्तगुर्वसूतजरत्यश्लीलदृढरूपा-
पारेवडवातैतिलकद्रूःपण्यकम्बलो दासीभाराणां च |
६. २. ४३ चतुर्थी तदर्थे |
६. २. ४४ अर्थे |
६. २. ४५ क्ते च |
६. २. ४६ कर्मधारयेऽनिष्ठा |
६. २. ४७ अहीने द्वितीया |
६. २. ४८ तृतीया कर्मणि |
६. २. ४९ गतिरनन्तरः |
६. २. ५० तादौ च निति कृत्यतौ |
६. २. ५१ तवै चान्तश्च युगपत् |
६. २. ५२ अनिगन्तोऽञ्चतौ वप्रत्यये |
६. २. ५३ न्यधी च |
६. २. ५४ ईषदन्यतरस्याम् |
६. २. ५५ हिरण्यपरिमाणं धने |
६. २. ५६ प्रथमोऽचिरोपसम्पत्तौ |
६. २. ५७ कतरकतमौ कर्मधारये |
६. २. ५८ आर्यो ब्राह्मणकुमारयोः |
६. २. ५९ राजा च |
६. २. ६० षष्ठी प्रत्येनसि |
६. २. ६१ क्ते नित्यार्थे |
६. २. ६२ ग्रामः शिल्पिनि |
६. २. ६३ राजा च प्रशंसायाम् |
६. २. ६४ आदिरुदात्तः |
६. २. ६५ सप्तमीहारिणौ धर्म्येऽहरणे |
६. २. ६६ युक्ते च |
६. २. ६७ विभाषाऽध्यक्षे |
६. २. ६८ पापं च शिल्पिनि |
६. २. ६९ गोत्रान्तेवासिमाणवब्राह्मणेषु क्षेपे |
६. २. ७० अङ्गानि मैरेये |
६. २. ७१ भक्ताख्यास्तदर्थेषु |
६. २. ७२ गोबिडालसिंहसैन्धवेषूपमाने |
६. २. ७३ अके जीविकाऽर्थे |
६. २. ७४ प्राचां क्रीडायाम् |
६. २. ७५ अणि नियुक्ते |
६. २. ७६ शिल्पिनि चाकृञः |
६. २. ७७ संज्ञायां च |
६. २. ७८ गोतन्तियवं पाले |
६. २. ७९ णिनि |
६. २. ८० उपमानं शब्दार्थप्रकृतावेव |
६. २. ८१ युक्तारोह्यादयश्च |
६. २. ८२ दीर्घकाशतुषभ्राष्ट्रवटं जे |
६. २. ८३ अन्त्यात् पूर्वं बह्वचः |
६. २. ८४ ग्रामेऽनिवसन्तः |
६. २. ८५ घोषादिषु |
६. २. ८६ छात्र्यादयः शालायाम् |
६. २. ८७ प्रस्थेऽवृद्धमकर्क्यादीनाम् |
६. २. ८८ मालाऽऽदीनां च |
६. २. ८९ अमहन्नवं नगरेऽनुदीचाम् |
६. २. ९० अर्मे चावर्णं द्व्यच्त्र्यच् |
६. २. ९१ न भूताधिकसंजीवमद्राश्मकज्जलम् |
६. २. ९२ अन्तः |
६. २. ९३ सर्वं गुणकार्त्स्न्ये |
६. २. ९४ संज्ञायां गिरिनिकाययोः |
६. २. ९५ कुमार्यां वयसि |
६. २. ९६ उदकेऽकेवले |
६. २. ९७ द्विगौ क्रतौ |
६. २. ९८ सभायां नपुंसके |
६. २. ९९ पुरे प्राचाम् |
६. २. १०० अरिष्टगौडपूर्वे च |

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