६. १. १ एकाचो द्वे प्रथमस्य |
६. १. २ अजादेर्द्वितीयस्य |
६. १. ३ न न्द्राः संयोगादयः |
६. १. ४ पूर्वोऽभ्यासः |
६. १. ५ उभे अभ्यस्तम् |
६. १. ६ जक्षित्यादयः षट् |
६. १. ७ तुजादीनां दीर्घोऽभ्यासस्य |
६. १. ८ लिटि धातोरनभ्यासस्य |
६. १. ९ सन्यङोः |
६. १. १० श्लौ |
६. १. ११ चङि |
६. १. १२ दाश्वान् साह्वान् मीढ्वांश्च |
६. १. १३ ष्यङः सम्प्रसारणं पुत्रपत्योस्तत्पुरुषे |
६. १. १४ बन्धुनि बहुव्रीहौ |
६. १. १५ वचिस्वपियजादिनां किति |
६. १. १६ ग्रहिज्यावयिव्यधिवष्टिविचतिवृश्चतिपृच्छति-
भृज्जतीनां ङिति च |
६. १. १७ लिट्यभ्यासस्योभयेषाम् |
६. १. १८ स्वापेश्चङि |
६. १. १९ स्वपिस्यमिव्येञां यङि |
६. १. २० न वशः |
६. १. २१ चायः की |
६. १. २२ स्फायः स्फी निष्ठायाम् |
६. १. २३ स्त्यः प्रपूर्वस्य |
६. १. २४ द्रवमूर्तिस्पर्शयोः श्यः |
६. १. २५ प्रतेश्च |
६. १. २६ विभाषाऽभ्यवपूर्वस्य |
६. १. २७ शृतं पाके |
६. १. २८ प्यायः पी |
६. १. २९ लिड्यङोश्च |
६. १. ३० विभाषा श्वेः |
६. १. ३१ णौ च संश्चङोः |
६. १. ३२ ह्वः सम्प्रसारणम् |
६. १. ३३ अभ्यस्तस्य च |
६. १. ३४ बहुलं छन्दसि |
६. १. ३५ चायः की |
६. १. ३६ अपस्पृधेथामानृचुरानृहुश्चिच्युषेतित्याज-
श्राताःश्रितमाशीराशीर्त्तः |
६. १. ३७ न सम्प्रसारणे सम्प्रसारणम् |
६. १. ३८ लिटि वयो यः |
६. १. ३९ वश्चास्यान्यतरस्याम् किति |
६. १. ४० वेञः |
६. १. ४१ ल्यपि च |
६. १. ४२ ज्यश्च |
६. १. ४३ व्यश्च |
६. १. ४४ विभाषा परेः |
६. १. ४५ आदेच उपदेशेऽशिति |
६. १. ४६ न व्यो लिटि |
६. १. ४७ स्फुरतिस्फुलत्योर्घञि |
६. १. ४८ क्रीङ्जीनां णौ |
६. १. ४९ सिध्यतेरपारलौकिके |
६. १. ५० मीनातिमिनोतिदीङां ल्यपि च |
६. १. ५१ विभाषा लीयतेः |
६. १. ५२ खिदेश्छन्दसि |
६. १. ५३ अपगुरो णमुलि |
६. १. ५४ चिस्फुरोर्णौ |
६. १. ५५ प्रजने वीयतेः |
६. १. ५६ बिभेतेर्हेतुभये |
६. १. ५७ नित्यं स्मयतेः |
६. १. ५८ सृजिदृशोर्झल्यमकिति |
६. १. ५९ अनुदात्तस्य चर्दुपधस्यान्यतरस्याम् |
६. १. ६० शीर्षंश्छन्दसि |
६. १. ६१ ये च तद्धिते |
६. १. ६२ अचि शीर्षः |
६. १. ६३
पद्दन्नोमाशृन्निशसन्यूषन्दोषन्यकञ्छकनुदन्नासञ्छस्-
प्रभृतिषु |
६. १. ६४ धात्वादेः षः सः |
६. १. ६५ णो नः |
६. १. ६६ लोपो व्योर्वलि |
६. १. ६७ वेरपृक्तस्य |
६. १. ६८ हल्ङ्याब्भ्यो दीर्घात् सुतिस्यपृक्तं हल् |
६. १. ६९ एङ्ह्रस्वात् सम्बुद्धेः |
६. १. ७० शेश्छन्दसि बहुलम् |
६. १. ७१ ह्रस्वस्य पिति कृति तुक् |
६. १. ७२ संहितायाम् |
६. १. ७३ छे च |
६. १. ७४ आङ्माङोश्च |
६. १. ७५ दीर्घात् |
६. १. ७६ पदान्ताद्वा |
६. १. ७७ इको यणचि |
६. १. ७८ एचोऽयवायावः |
६. १. ७९ वान्तो यि प्रत्यये |
६. १. ८० धातोस्तन्निमित्तस्यैव |

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