५. ४. १ पादशतस्य संख्याऽऽदेर्वीप्सायां वुन् लोपश्च |
५. ४. २ दण्डव्यवसर्गयोश्च |
५. ४. ३ स्थूलादिभ्यः प्रकारवचने कन् |
५. ४. ४ अनत्यन्तगतौ क्तात् |
५. ४. ५ न सामिवचने |
५. ४. ६ बृहत्या आच्छादने |
५. ४. ७ अषडक्षाशितङ्ग्वलंकर्मालम्पुरुषाध्युत्तरपदात्
खः |
५. ४. ८ विभाषा अञ्चेरदिक्स्त्रियाम् |
५. ४. ९ जात्यन्ताच्छ बन्धुनि |
५. ४. १० स्थानान्ताद्विभाषा सस्थानेनेति चेत् |
५. ४. ११ किमेत्तिङव्ययघादाम्वद्रव्यप्रकर्षे |
५. ४. १२ अमु च च्छन्दसि |
५. ४. १३ अनुगादिनष्ठक् |
५. ४. १४ णचः स्त्रियामञ् |
५. ४. १५ अणिनुणः |
५. ४. १६ विसारिणो मत्स्ये |
५. ४. १७ संख्यायाः क्रियाऽभ्यावृत्तिगणने कृत्वसुच् |
५. ४. १८ द्वित्रिचतुर्भ्यः सुच् |
५. ४. १९ एकस्य सकृच्च |
५. ४. २० विभाषा बहोर्धाऽविप्रकृष्टकाले |
५. ४. २१ तत्प्रकृतवचने मयट् |
५. ४. २२ समूहवच्च बहुषु |
५. ४. २३ अनन्तावसथेतिहभेषजाञ्ञ्यः |
५. ४. २४ देवतान्तात्तादर्थ्ये यत् |
५. ४. २५ पादार्घाभ्यां च |
५. ४. २६ अतिथेर्ञ्यः |
५. ४. २७ देवात्तल् |
५. ४. २८ अवेः कः |
५. ४. २९ यावादिभ्यः कन् |
५. ४. ३० लोहितान्मणौ |
५. ४. ३१ वर्णे चानित्ये |
५. ४. ३२ रक्ते |
५. ४. ३३ कालाच्च |
५. ४. ३४ विनयादिभ्यष्ठक् |
५. ४. ३५ वाचो व्याहृतार्थायाम् |
५. ४. ३६ तद्युक्तात् कर्मणोऽण् |
५. ४. ३७ ओषधेरजातौ |
५. ४. ३८ प्रज्ञादिभ्यश्च |
५. ४. ३९ मृदस्तिकन् |
५. ४. ४० सस्नौ प्रशंसायाम् |
५. ४. ४१ वृकज्येष्ठाभ्यां तिल्तातिलौ च च्छन्दसि |
५. ४. ४२ बह्वल्पार्थाच्छस् कारकादन्यतरस्याम् |
५. ४. ४३ संख्यैकवचनाच्च वीप्सायाम् |
५. ४. ४४ प्रतियोगे पञ्चम्यास्तसिः |
५. ४. ४५ अपादाने चाहीयरुहोः |
५. ४. ४६ अतिग्रहाव्यथनक्षेपेष्वकर्तरि तृतीयायाः |
५. ४. ४७ हीयमानपापयोगाच्च |
५. ४. ४८ षष्ठ्या व्याश्रये |
५. ४. ४९ रोगाच्चापनयने |
५. ४. ५० अभूततद्भावे कृभ्वस्तियोगे सम्पद्यकर्तरि च्विः |
५. ४. ५१ अरुर्मनश्चक्षुश्चेतोरहोरजसां लोपश्च |
५. ४. ५२ विभाषा साति कार्त्स्न्ये |
५. ४. ५३ अभिविधौ सम्पदा च |
५. ४. ५४ तदधीनवचने |
५. ४. ५५ देये त्रा च |
५. ४. ५६ देवमनुष्यपुरुषमर्त्येभ्यो द्वितीयासप्तम्योर्बहुलम् |
५. ४. ५७ अव्यक्तानुकरणाद्द्व्यजवरार्धादनितौ डाच् |
५. ४. ५८ कृञो द्वितीयतृतीयशम्बबीजात् कृषौ |
५. ४. ५९ संख्यायाश्च गुणान्तायाः |
५. ४. ६० समयाच्च यापनायाम् |
५. ४. ६१ सपत्त्रनिष्पत्रादतिव्यथने |
५. ४. ६२ निष्कुलान्निष्कोषणे |
५. ४. ६३ सुखप्रियादानुलोम्ये |
५. ४. ६४ दुःखात् प्रातिलोम्ये |
५. ४. ६५ शूलात् पाके |
५. ४. ६६ सत्यादशपथे |
५. ४. ६७ मद्रात् परिवापणे |
५. ४. ६८ समासान्ताः |
५. ४. ६९ न पूजनात् |
५. ४. ७० किमः क्षेपे |
५. ४. ७१ नञस्तत्पुरुषात् |
५. ४. ७२ पथो विभाषा |
५. ४. ७३ बहुव्रीहौ संख्येये डजबहुगणात् |
५. ४. ७४ ऋक्पूरप्धूःपथामानक्षे |
५. ४. ७५ अच् प्रत्यन्ववपूर्वात् सामलोम्नः |
५. ४. ७६ अक्ष्णोऽदर्शनात् |
५. ४. ७७ अचतुरविचतुरसुचतुरस्त्रीपुंसधेन्वनडुहर्क्साम-
वाङ्मनसाक्षिभ्रुवदारगवोर्वष्ठीवपदष्ठीवनक्तंदिव-
रत्रिंदिवाहर्दिवसरजसनिःश्रेयसपुरुषायुषद्व्यायुष-

त्र्यायुषर्ग्यजुषजातोक्षमहोक्षवृद्धोक्षोपशुनगोष्ठश्वाः
.
५. ४. ७८ ब्रह्महस्तिभ्याम् वर्च्चसः |
५. ४. ७९ अवसमन्धेभ्यस्तमसः |
५. ४. ८० श्वसो वसीयःश्रेयसः |

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