५. ३. १ प्राग्दिशो विभक्तिः |
५. ३. २ किंसर्वनामबहुभ्योऽद्व्यादिभ्यः |
५. ३. ३ इदम इश् |
५. ३. ४ एतेतौ रथोः |
५. ३. ५ एतदोऽश् |
५. ३. ६ सर्वस्य सोऽन्यतरस्यां दि |
५. ३. ७ पञ्चम्यास्तसिल् |
५. ३. ८ तसेश्च |
५. ३. ९ पर्यभिभ्यां च |
५. ३. १० सप्तम्यास्त्रल् |
५. ३. ११ इदमो हः |
५. ३. १२ किमोऽत् |
५. ३. १३ वा ह च च्छन्दसि |
५. ३. १४ इतराभ्योऽपि दृश्यन्ते |
५. ३. १५ सर्वैकान्यकिंयत्तदः काले दा |
५. ३. १६ इदमो र्हिल् |
५. ३. १७ अधुना |
५. ३. १८ दानीं च |
५. ३. १९ तदो दा च |
५. ३. २० तयोर्दार्हिलौ च च्छन्दसि |
५. ३. २१ अनद्यतने र्हिलन्यतरस्याम् |
५. ३. २२ सद्यःपरुत्परार्यैषमःपरेद्यव्यद्यपूर्वेद्युरन्येद्युर्-
अन्यतरेद्युरितरेद्युरपरेद्युरधरेद्युरुभयेद्युरुत्तरेद्युः |
५. ३. २३ प्रकारवचने थाल् |
५. ३. २४ इदमस्थमुः |
५. ३. २५ किमश्च |
५. ३. २६ था हेतौ च च्छन्दसि |
५. ३. २७ दिक्शब्देभ्यः सप्तमीपञ्चमीप्रथमाभ्यो
दिग्देशकालेष्वस्तातिः |
५. ३. २८ दक्षिणोत्तराभ्यामतसुच् |
५. ३. २९ विभाषा परावराभ्याम् |
५. ३. ३० अञ्चेर्लुक् |
५. ३. ३१ उपर्युपरिष्टात् |
५. ३. ३२ पश्चात् |
५. ३. ३३ पश्च पश्चा च च्छन्दसि |
५. ३. ३४ उत्तराधरदक्षिणादातिः |
५. ३. ३५ एनबन्यतरस्यामदूरेऽपञ्चम्याः |
५. ३. ३६ दक्षिणादाच् |
५. ३. ३७ आहि च दूरे |
५. ३. ३८ उत्तराच्च |
५. ३. ३९ पूर्वाधरावराणामसि पुरधवश्चैषाम् |
५. ३. ४० अस्ताति च |
५. ३. ४१ विभाषाऽवरस्य |
५. ३. ४२ संख्याया विधाऽर्थे धा |
५. ३. ४३ अधिकरणविचाले च |
५. ३. ४४ एकाद्धो ध्यमुञन्यारयाम् |
५. ३. ४५ द्वित्र्योश्च धमुञ् |
५. ३. ४६ एधाच्च |
५. ३. ४७ याप्ये पाशप् |
५. ३. ४८ पूरणाद्भागे तीयादन् |
५. ३. ४९ प्रागेकादशभ्योऽच्छन्दसि |
५. ३. ५० षष्ठाष्टमाभ्यां ञ च |
५. ३. ५१ मानपश्वङ्गयोः कन्लुकौ च |
५. ३. ५२ एकादाकिनिच्चासहाये |
५. ३. ५३ भूतपूर्वे चरट् |
५. ३. ५४ षष्ठ्या रूप्य च |
५. ३. ५५ अतिशायने तमबिष्ठनौ |
५. ३. ५६ तिङश्च |
५. ३. ५७ द्विवचनविभज्योपपदे तरबीयसुनौ |
५. ३. ५८ अजादी गुणवचनादेव |
५. ३. ५९ तुश्छन्दसि |
५. ३. ६० प्रशस्यस्य श्रः |
५. ३. ६१ ज्य च |
५. ३. ६२ वृद्धस्य च |
५. ३. ६३ अन्तिकबाढयोर्नेदसाधौ |
५. ३. ६४ युवाल्पयोः कनन्यतरस्याम् |
५. ३. ६५ विन्मतोर्लुक् |
५. ३. ६६ प्रशंसायां रूपप् |
५. ३. ६७ ईषदसमाप्तौ कल्पब्देश्यदेशीयरः |
५. ३. ६८ विभाषा सुपो बहुच् पुरस्तात्तु |
५. ३. ६९ प्रकारवचने जातीयर्.
५. ३. ७० प्रागिवात्कः |
५. ३. ७१ अव्ययसर्वनाम्नामकच् प्राक् टेः |
५. ३. ७२ कस्य च दः |
५. ३. ७३ अज्ञाते |
५. ३. ७४ कुत्सिते |
५. ३. ७५ संज्ञायां कन् |
५. ३. ७६ अनुकम्पायाम् |
५. ३. ७७ नीतौ च तद्युक्तात् |
५. ३. ७८ बह्वचो मनुष्यनाम्नष्ठज्वा |
५. ३. ७९ घनिलचौ च |
५. ३. ८० प्राचामुपादेरडज्वुचौ च |
५. ३. ८१ जातिनाम्नः कन् |
५. ३. ८२ अजिनान्तस्योत्तरपदलोपश्च |
५. ३. ८३ ठाजादावूर्ध्वं द्वितीयादचः |
५. ३. ८४ शेवलसुपरिविशालवरुणार्यमादीनां तृतीयात् |
५. ३. ८५ अल्पे |
५. ३. ८६ ह्रस्वे |
५. ३. ८७ संज्ञायां कन् |
५. ३. ८८ कुटीशमीशुण्डाभ्यो रः |
५. ३. ८९ कुत्वा डुपच् |
५. ३. ९० कासूगोणीभ्यां ष्टरच् |
५. ३. ९१ वत्सोक्षाश्वर्षभेभ्यश्च तनुत्वे |
५. ३. ९२ किंयत्तदो निर्द्धारणे द्वयोरेकस्य डतरच् |
५. ३. ९३ वा बहूनां जातिपरिप्रश्ने डतमच् |
५. ३. ९४ एकाच्च प्राचाम् |
५. ३. ९५ अवक्षेपणे कन् |
५. ३. ९६ इवे प्रतिकृतौ |
५. ३. ९७ संज्ञायां च |
५. ३. ९८ लुम्मनुष्ये |
५. ३. ९९ जीविकाऽर्थे चापण्ये |
५. ३. १०० देवपथादिभ्यश्च |
५. ३. १०१ वस्तेर्ढञ् |
५. ३. १०२ शिलाया ढः |
५. ३. १०३ शाखाऽऽदिभ्यो यत् |
५. ३. १०४ द्रव्यं च भव्ये |
५. ३. १०५ कुशाग्राच्छः |
५. ३. १०६ समासाच्च तद्विषयात् |
५. ३. १०७ शर्कराऽऽदिभ्योऽण् |
५. ३. १०८ अङ्गुल्यादिभ्यष्ठक् |
५. ३. १०९ एकशालायाष्ठजन्यतरस्याम् |
५. ३. ११० कर्कलोहितादीकक् |
५. ३. १११ प्रत्नपूर्वविश्वेमात्थाल् छन्दसि |
५. ३. ११२ पूगाञ्ञ्योऽग्रामणीपूर्वात् |
५. ३. ११३ व्रातच्फञोरस्त्रियाम् |
५. ३. ११४ आयुधजीविसंघाञ्ञ्यड्वाहीकेष्वब्राह्मणराजन्यात् |
५. ३. ११५ वृकाट्टेण्यण् |
५. ३. ११६ दामन्यादित्रिगर्तषष्ठाच्छः |
५. ३. ११७ पर्श्वादियौधेयादिभ्यामणञौ |
५. ३. ११८
अभिजिद्विदभृच्छालावच्छिखावच्छमीवदूर्णावच्छ्रुमदणो
यञ् |
५. ३. ११९ ञ्यादयस्तद्राजाः |

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