४. ३. १ युष्मदस्मदोरन्यतरस्यां खञ् च |
४. ३. २ तस्मिन् नणि च युष्माकास्माकौ |
४. ३. ३ तवकममकावेकवचने |
४. ३. ४ अर्धाद्यत् |
४. ३. ५ परावराधमोत्तमपूर्वाच्च |
४. ३. ६ दिक्पूर्वपदाट्ठञ् च |
४. ३. ७ ग्रामजनपदैकदेशादञ्ठञौ |
४. ३. ८ मध्यान्मः |
४. ३. ९ अ साम्प्रतिके |
४. ३. १० द्वीपादनुसमुद्रं यञ् |
४. ३. ११ कालाट्ठञ् |
४. ३. १२ श्राद्धे शरदः |
४. ३. १३ विभाषा रोगातपयोः |
४. ३. १४ निशाप्रदोषाभ्यां च |
४. ३. १५ श्वसस्तुट् च |
४. ३. १६ संधिवेलाऽऽद्यृतुनक्षत्रेभ्योऽण् |
४. ३. १७ प्रावृष एण्यः |
४. ३. १८ वर्षाभ्यष्ठक् |
४. ३. १९ छन्दसि ठञ् |
४. ३. २० वसन्ताच्च |
४. ३. २१ हेमन्ताच्च |
४. ३. २२ सर्वत्राण् च तलोपश्च |
४. ३. २३ सायंचिरम्प्राह्णेप्रगेऽव्ययेभ्यष्ट्युट्युलौ तुट् च |
४. ३. २४ विभाषा पूर्वाह्णापराह्णाभ्याम् |
४. ३. २५ तत्र जातः |
४. ३. २६ प्रावृषष्ठप् |
४. ३. २७ संज्ञायां शरदो वुञ् |
४. ३. २८ पूर्वाह्णापराह्णार्द्रामूलप्रदोषावस्कराद्वुन् |
४. ३. २९ पथः पन्थ च |
४. ३. ३० अमावास्याया वा |
४. ३. ३१ अ च |
४. ३. ३२ सिन्ध्वपकराभ्यां कन् |
४. ३. ३३ अणञौ च |
४. ३. ३४ श्रविष्ठाफल्गुन्यनुराधास्वातितिष्यपुनर्वसुहस्त-
विशाखाऽषाढाबहुलाल्लुक् |
४. ३. ३५ स्थानान्तगोशालखरशालाच्च |
४. ३. ३६ वत्सशालाऽभिजिदश्वयुक्छतभिषजो वा |
४. ३. ३७ नक्षत्रेभ्यो बहुलम् |
४. ३. ३८ कृतलब्धक्रीतकुशलाः |
४. ३. ३९ प्रायभवः |
४. ३. ४० उपजानूपकर्णोपनीवेष्ठक् |
४. ३. ४१ संभूते |
४. ३. ४२ कोशाड्ढञ् |
४. ३. ४३ कालात् साधुपुष्प्यत्पच्यमानेषु |
४. ३. ४४ उप्ते च |
४. ३. ४५ आश्वयुज्या वुञ् |
४. ३. ४६ ग्रीष्मवसन्तादन्यतरस्याम् |
४. ३. ४७ देयमृणे |
४. ३. ४८ कलाप्यश्वत्थयवबुसाद्वुन् |
४. ३. ४९ ग्रीष्मावरसमाद्वुञ् |
४. ३. ५० संवत्सराग्रहायणीभ्यां ठञ् च |
४. ३. ५१ व्याहरति मृगः |
४. ३. ५२ तदस्य सोढम् |
४. ३. ५३ तत्र भवः |
४. ३. ५४ दिगादिभ्यो यत् |
४. ३. ५५ शरीरावयवाच्च |
४. ३. ५६ दृतिकुक्षिकलशिवस्त्यस्त्यहेर्ढञ् |
४. ३. ५७ ग्रीवाभ्योऽण् च |
४. ३. ५८ गम्भीराञ्ञ्यः |
४. ३. ५९ अव्ययीभावाच्च |
४. ३. ६० अन्तःपूर्वपदाट्ठञ् |
४. ३. ६१ ग्रामात् पर्यनुपूर्वात् |
४. ३. ६२ जिह्वामूलाङ्गुलेश्छः |
४. ३. ६३ वर्गान्ताच्च |
४. ३. ६४ अशब्दे यत्खावन्यतरस्याम् |
४. ३. ६५ कर्णललाटात् कनलंकारे |
४. ३. ६६ तस्य व्याख्यान इति च व्याख्यातव्यनाम्नः |
४. ३. ६७ बह्वचोऽन्तोदात्ताट्ठञ् |
४. ३. ६८ क्रतुयज्ञेभ्यश्च |
४. ३. ६९ अध्यायेष्वेवर्षेः |
४. ३. ७० पौरोडाशपुरोडाशात् ष्ठन् |
४. ३. ७१ छन्दसो यदणौ |
४. ३. ७२ द्व्यजृद्ब्राह्मणर्क्प्रथमाध्वरपुरश्चरण-
नामाख्याताट्ठक् |
४. ३. ७३ अणृगयनादिभ्यः |
४. ३. ७४ तत आगतः |
४. ३. ७५ ठगायस्थानेभ्यः |
४. ३. ७६ शुण्डिकादिभ्योऽण् |
४. ३. ७७ विद्यायोनिसंबन्धेभ्यो वुञ् |
४. ३. ७८ ऋतश्ठञ् |
४. ३. ७९ पितुर्यच्च |
४. ३. ८० गोत्रादङ्कवत् |

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