३. ४. १ धातुसम्बन्धे प्रत्ययाः |
३. ४. २ क्रियासमभिहारे लोट्,लोटो हिस्वौ,वा च तध्वमोः |
३. ४. ३ समुच्चयेऽन्यतरस्याम् |
३. ४. ४ यथाविध्यनुप्रयोगः पूर्वस्मिन् |
३. ४. ५ समुच्चये सामान्यवचनस्य |
३. ४. ६ छन्दसि लुङ्लङ्लिटः |
३. ४. ७ लिङर्थे लेट् |
३. ४. ८ उपसंवादाशङ्कयोश्च |
३. ४. ९ तुमर्थे सेसेनसेअसेन्क्सेकसेनध्यैअध्यैन्कध्यैकध्यैन्-
शध्यैशध्यैन्तवैतवेङ्तवेनः |
३. ४. १० प्रयै रोहिष्यै अव्यथिष्यै |
३. ४. ११ दृशे विख्ये च |
३. ४. १२ शकि णमुल्कमुलौ |
३. ४. १३ ईश्वरे तोसुन्कसुनौ |
३. ४. १४ कृत्यार्थे तवैकेन्केन्यत्वनः |
३. ४. १५ अवचक्षे च |
३. ४. १६ भावलक्षणे स्थेण्कृञ्वदिचरिहुतमिजनिभ्यस्तोसुन् |
३. ४. १७ सृपितृदोः कसुन् |
३. ४. १८ अलङ्खल्वोः प्रतिषेधयोः प्राचां क्त्वा |
३. ४. १९ उदीचां माङो व्यतीहारे |
३. ४. २० परावरयोगे च |
३. ४. २१ समानकर्तृकयोः पूर्वकाले |
३. ४. २२ आभीक्ष्ण्ये णमुल् च |
३. ४. २३ न यद्यनाकाङ्क्षे |
३. ४. २४ विभाषाऽग्रेप्रथमपूर्वेषु |
३. ४. २५ कर्मण्याक्रोशे कृञः खमुञ् |
३. ४. २६ स्वादुमि णमुल् |
३. ४. २७ अन्यथैव.म्कथमित्थंसु सिद्धाप्रयोगश्चेत् |
३. ४. २८ यथातथयोरसूयाप्रतिवचने |
३. ४. २९ कर्मणि दृशिविदोः साकल्ये |
३. ४. ३० यावति विन्दजीवोः |
३. ४. ३१ चर्मोदरयोः पूरेः |
३. ४. ३२ वर्षप्रमाण ऊलोपश्चास्यान्यतरास्यम् |
३. ४. ३३ चेले क्नोपेः |
३. ४. ३४ निमूलसमूलयोः कषः |
३. ४. ३५ शुष्कचूर्णरूक्षेषु पिषः |
३. ४. ३६ समूलाकृतजीवेषु हन्कृञ्ग्रहः |
३. ४. ३७ करणे हनः |
३. ४. ३८ स्नेहने पिषः |
३. ४. ३९ हस्ते वर्त्तिग्रहोः |
३. ४. ४० स्वे पुषः |
३. ४. ४१ अधिकरणे बन्धः |
३. ४. ४२ संज्ञायाम् |
३. ४. ४३ कर्त्रोर्जीवपुरुषयोर्नशिवहोः |
३. ४. ४४ ऊर्ध्वे शुषिपूरोः |
३. ४. ४५ उपमाने कर्मणि च |
३. ४. ४६ कषादिषु यथाविध्यनुप्रयोगः |
३. ४. ४७ उपदंशस्तृतीयायाम् |
३. ४. ४८ हिंसार्थानां च समानकर्मकाणाम् |
३. ४. ४९ सप्तम्यां चोपपीडरुधकर्षः |
३. ४. ५० समासत्तौ |
३. ४. ५१ प्रमाणे च |
३. ४. ५२ अपादाने परीप्सायाम् |
३. ४. ५३ द्वितीयायां च |
३. ४. ५४ स्वाङ्गेऽध्रुवे |
३. ४. ५५ परिक्लिश्यमाने च |
३. ४. ५६ विशिपतिपदिस्कन्दां व्याप्यमानासेव्यमानयोः |
३. ४. ५७ अस्यतितृषोः क्रियाऽन्तरे कालेषु |
३. ४. ५८ नाम्न्यादिशिग्रहोः |
३. ४. ५९ अव्ययेऽयथाभिप्रेताख्याने कृञः क्त्वाणमुलौ |
३. ४. ६० तिर्यच्यपवर्गे |
३. ४. ६१ स्वाङ्गे तस्प्रत्यये कृभ्वोः |
३. ४. ६२ नाधाऽर्थप्रत्यये च्व्यर्थे |
३. ४. ६३ तूष्णीमि भुवः |
३. ४. ६४ अन्वच्यानुलोम्ये |
३. ४. ६५
शकधृषज्ञाग्लाघटरभलभक्रमसहार्हास्त्यर्थेषु तुमुन् |
३. ४. ६६ पर्याप्तिवचनेष्वलमर्थेषु |
३. ४. ६७ कर्तरि कृत् |
३. ४. ६८ भव्यगेयप्रवचनीयोपस्थानीयजन्याप्लाव्यापात्या वा |
३. ४. ६९ लः कर्मणि च भावे चाकर्मकेभ्यः. |
३. ४. ७० तयोरेव कृत्यक्तखलर्थाः |
३. ४. ७१ अदिकर्मणि क्तः कर्तरि च |
३. ४. ७२
गत्यर्थाकर्मकश्लिषशीङ्स्थाऽऽसवसजनरुहजीर्यतिभ्यश्च
.
३. ४. ७३ दाशगोघ्नौ सम्प्रदाने |
३. ४. ७४ भीमादयोऽपादाने |
३. ४. ७५ ताभ्यामन्यत्रोणादयः |
३. ४. ७६ क्तोऽधिकरणे च ध्रौव्यगतिप्रत्यवसानार्थेभ्यः |
३. ४. ७७ लस्य |
३. ४. ७८ तिप्तस्झिसिप्थस्थमिब्वस्मस्-
तातांझथासाथांध्वमिड्वहिमहिङ् |
३. ४. ७९ टित आत्मनेपदानां टेरे |
३. ४. ८० थासस्से |
३. ४. ८१ लिटस्तझयोरेशिरेच् |
३. ४. ८२ परस्मैपदानां णलतुसुस्थलथुसणल्वमाः |
३. ४. ८३ विदो लटो वा |
३. ४. ८४ ब्रुवः पञ्चानामादित आहो ब्रुवः |
३. ४. ८५ लोटो लङ्वत् |
३. ४. ८६ एरुः |
३. ४. ८७ सेर्ह्यपिच्च |
३. ४. ८८ वा छन्दसि |
३. ४. ८९ मेर्निः |
३. ४. ९० आमेतः |
३. ४. ९१ सवाभ्यां वामौ |
३. ४. ९२ आडुत्तमस्य पिच्च |
३. ४. ९३ एत ऐ |
३. ४. ९४ लेटोऽडाटौ |
३. ४. ९५ आत ऐ |
३. ४. ९६ वैतोऽन्यत्र |
३. ४. ९७ इतश्च लोपः परस्मैपदेषु |
३. ४. ९८ स उत्तमस्य |
३. ४. ९९ नित्यं ङितः |
३. ४. १०० इतश्च |
३. ४. १०१ तस्थस्थमिपां तांतंतामः |
३. ४. १०२ लिङस्सीयुट् |
३. ४. १०३ यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
३. ४. १०४ किदाशिषि |
३. ४. १०५ झस्य रन् |
३. ४. १०६ इटोऽत् |
३. ४. १०७ सुट् तिथोः |
३. ४. १०८ झेर्जुस् |
३. ४. १०९ सिजभ्यस्तविदिभ्यः च |
३. ४. ११० आतः |
३. ४. १११ लङः शाकटायनस्यैव |
३. ४. ११२ द्विषश्च |
३. ४. ११३ तिङ्शित्सार्वधातुकम् |
३. ४. ११४ आर्द्धधातुकं शेषः |
३. ४. ११५ लिट् च |
३. ४. ११६ लिङाशिषि |
३. ४. ११७ छन्दस्युभयथा |

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