३. ३. ८६ संघोद्घौ गणप्रशंसयोः |
३. ३. ८७ निघो निमितम् |
३. ३. ८८ ड्वितः क्त्रिः |
३. ३. ८९ ट्वितोऽथुच् |
३. ३. ९० यजयाचयतविच्छप्रच्छरक्षो नङ् |
३. ३. ९१ स्वपो नन् |
३. ३. ९२ उपसर्गे घोः किः |
३. ३. ९३ कर्मण्यधिकरणे च |
३. ३. ९४ स्त्रियां क्तिन् |
३. ३. ९५ स्थागापापचां भावे |
३. ३. ९६ मन्त्रे वृषेषपचमनविदभूवीरा उदात्तः |
३. ३. ९७ ऊतियूतिजूतिसातिहेतिकीर्तयश्च |
३. ३. ९८ व्रजयजोर्भावे क्यप् |
३. ३. ९९ संज्ञायां समजनिषदनिपतमनविदषुञ्शीङ्भृञिणः
.
३. ३. १०० कृञः श च |
३. ३. १०१ इच्छा |
३. ३. १०२ अ प्रत्ययात् |
३. ३. १०३ गुरोश्च हलः |
३. ३. १०४ षिद्भिदादिभ्योऽङ् |
३. ३. १०५ चिन्तिपूजिकथिकुम्बिचर्चश्च |
३. ३. १०६ आतश्चोपसर्गे |
३. ३. १०७ ण्यासश्रन्थो युच् |
३. ३. १०८ रोगाख्यायां ण्वुल् बहुलम् |
३. ३. १०९ संज्ञायाम् |
३. ३. ११० विभाषाऽऽख्यानपरिप्रश्नयोरिञ् च |
३. ३. १११ पर्यायार्हर्णोत्पत्तिषु ण्वुच् |
३. ३. ११२ आक्रोशे नञ्यनिः |
३. ३. ११३ कृत्यल्युटो बहुलम् |
३. ३. ११४ नपुंसके भावे क्तः |
३. ३. ११५ ल्युट् च |
३. ३. ११६ कर्मणि च येन संस्पर्शात् कर्तुः शरीरसुखम् |
३. ३. ११७ करणाधिकरणयोश्च |
३. ३. ११८ पुंसि संज्ञायां घः प्रायेण |
३. ३. ११९ गोचरसंचरवहव्रजव्यजापणनिगमाश्च |
३. ३. १२० अवे तॄस्त्रोर्घञ् |
३. ३. १२१ हलश्च |
३. ३. १२२ अध्यायन्यायोद्यावसंहाराधारावयाश्च |
३. ३. १२३ उदङ्कोऽनुदके |
३. ३. १२४ जालमानायः |
३. ३. १२५ खनो घ च |
३. ३. १२६ ईषद्दुःसुषु कृच्छ्राकृच्छ्रार्थेषु खल् |
३. ३. १२७ कर्तृकर्मणोश्च भूकृञोः |
३. ३. १२८ आतो युच् |
३. ३. १२९ छन्दसि गत्यर्थेभ्यः |
३. ३. १३० अन्येभ्योऽपि दृश्यते |
३. ३. १३१ वर्तमानसामीप्ये वर्तमानवद्वा |
३. ३. १३२ आशंसायां भूतवच्च |
३. ३. १३३ क्षिप्रवचने लृट् |
३. ३. १३४ आशंसावचने लिङ् |
३. ३. १३५ नानद्यतनवत् क्रियाप्रबन्धसामीप्ययोः |
३. ३. १३६ भविष्यति मर्यादावचनेऽवरस्मिन् |
३. ३. १३७ कालविभागे चानहोरात्राणाम् |
३. ३. १३८ परस्मिन् विभाषा |
३. ३. १३९ लिङ्निमित्ते लृङ् क्रियाऽतिपत्तौ |
३. ३. १४० भूते च |
३. ३. १४१ वोताप्योः |
३. ३. १४२ गर्हायां लडपिजात्वोः |
३. ३. १४३ विभाषा कथमि लिङ् च |
३. ३. १४४ किंवृत्ते लिङ्लृटौ |
३. ३. १४५ अनवकॢप्त्यमर्षयोरकिंवृत्ते अपि |
३. ३. १४६ किंकिलास्त्यर्थेषु लृट् |
३. ३. १४७ जातुयदोर्लिङ् |
३. ३. १४८ यच्चयत्रयोः |
३. ३. १४९ गर्हायां च |
३. ३. १५० चित्रीकरणे च |
३. ३. १५१ शेषे लृडयदौ |
३. ३. १५२ उताप्योः समर्थयोर्लिङ् |
३. ३. १५३ कामप्रवेदनेऽकच्चिति |
३. ३. १५४ सम्भवानेऽलमिति चेत् सिद्धाप्रयोगे |
३. ३. १५५ विभाषा धातौ सम्भावनवचनेऽयदि |
३. ३. १५६ हेतुहेतुमतोर्लिङ् |
३. ३. १५७ इच्छार्थेषु लिङ्लोटौ |
३. ३. १५८ समानकर्तृकेषु तुमुन् |
३. ३. १५९ लिङ् च |
३. ३. १६० इच्छार्थेभ्यो विभाषा वर्तमाने |
३. ३. १६१ विधिनिमन्त्रणामन्त्रण अधीष्टसम्प्रश्नप्रार्थनेषु
लिङ् |
३. ३. १६२ लोट् च |
३. ३. १६३ प्रैषातिसर्गप्राप्तकालेषु कृत्याश्च |
३. ३. १६४ लिङ् चोर्ध्वमौहूर्तिके |
३. ३. १६५ स्मे लोट् |
३. ३. १६६ अधीष्टे च |
३. ३. १६७ कालसमयवेलासु तुमुन् |
३. ३. १६८ लिङ् यदि |
३. ३. १६९ अर्हे कृत्यतृचश्च |
३. ३. १७० आवश्यकाधमर्ण्ययोर्णिनिः |
३. ३. १७१ कृत्याश्च |
३. ३. १७२ शकि लिङ् च |
३. ३. १७३ आशिषि लिङ्लोटौ |
३. ३. १७४ क्तिच्क्तौ च संज्ञायाम् |
३. ३. १७५ माङि लुङ् |
३. ३. १७६ स्मोत्तरे लङ् च |

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