३. १. १ प्रत्ययः |
३. १. २ परश्च |
३. १. ३ आद्युदात्तश्च |
३. १. ४ अनुदत्तौ सुप्पितौ |
३. १. ५ गुप्तिज्किद्भ्यः सन् |
३. १. ६ मान्बधदान्शान्भ्यो दीर्घश्चाभ्यासस्य |
३. १. ७ धातोः कर्मणः समानकर्तृकादिच्छायां वा |
३. १. ८ सुप आत्मनः क्यच् |
३. १. ९ काम्यच्च |
३. १. १० उपमानादाचारे |
३. १. ११ कर्तुः क्यङ् सलोपश्च |
३. १. १२ भृशादिभ्यो भुव्यच्वेर्लोपश्च हलः |
३. १. १३ लोहितादिडाज्भ्यः क्यष्.
३. १. १४ कष्टाय क्रमणे |
३. १. १५ कर्मणः रोमन्थतपोभ्यां वर्तिचरोः |
३. १. १६ बाष्पोष्माभ्यां उद्वमने |
३. १. १७ शब्दवैरकलहाभ्रकण्वमेघेभ्यः करणे |
३. १. १८ सुखादिभ्यः कर्तृवेदनायाम् |
३. १. १९ नमोवरिवश्चित्रङः क्यच् |
३. १. २० पुच्छभाण्डचीवराण्णिङ् |
३. १. २१ मुण्डमिश्रश्लक्ष्णलवणव्रतवस्त्रहलकलकृततूस्तेभ्यो
णिच् |
३. १. २२ धातोरेकाचो हलादेः क्रियासमभिहारे यङ् |
३. १. २३ नित्यं कौटिल्ये गतौ |
३. १. २४ लुपसदचरजपजभदहदशगॄभ्यो भावगर्हायाम् |
३. १. २५ सत्यापपाशरूपवीणातूलश्लोकसेनालोमत्वचवर्मवर्ण-
चूर्णचुरादिभ्यो णिच् |
३. १. २६ हेतुमति च |
३. १. २७ कण्ड्वादिभ्यो यक् |
३. १. २८ गुपूधूपविच्छिपणिपनिभ्य आयः |
३. १. २९ ऋतेरीयङ् |
३. १. ३० कमेर्णिङ् |
३. १. ३१ आयादय आर्धद्धातुके वा |
३. १. ३२ सनाद्यन्ता धातवः |
३. १. ३३ स्यतासी लृलुटोः |
३. १. ३४ सिब्बहुलं लेटि |
३. १. ३५ कास्प्रत्ययादाममन्त्रे लिटि |
३. १. ३६ इजादेश्च गुरुमतोऽनृच्छः |
३. १. ३७ दयायासश्च |
३. १. ३८ उषविदजागृभ्योऽन्यतरस्याम् |
३. १. ३९ भीह्रीभृहुवां श्लुवच्च |
३. १. ४० कृञ् चानुप्रयुज्यते लिटि |
३. १. ४१ विदाङ्कुर्वन्त्वित्यन्यतरस्याम् |
३. १. ४२ अभ्युत्सादयांप्रजनयांचिकयांरमयामकः
पावयांक्रियाद्विदामक्रन्निति च्छन्दसि |
३. १. ४३ च्लि लुङि |
३. १. ४४ च्लेः सिच् |
३. १. ४५ शल इगुपधादनिटः क्सः |
३. १. ४६ श्लिष आलिङ्गने |
३. १. ४७ न दृशः |
३. १. ४८ णिश्रिद्रुस्रुभ्यः कर्तरि चङ् |
३. १. ४९ विभाषा धेट्श्व्योः |
३. १. ५० गुपेश्छन्दसि |
३. १. ५१ नोनयतिध्वनयत्येलयत्यर्दयतिभ्यः |
३. १. ५२ अस्यतिवक्तिख्यातिभ्यः अङ् |
३. १. ५३ लिपिसिचिह्वश्च |
३. १. ५४ आत्मनेपदेष्वन्यतरस्याम् |
३. १. ५५ पुषादिद्युताद्यॢदितः परस्मैपदेषु |
३. १. ५६ सर्त्तिशास्त्यर्तिभ्यश्च |
३. १. ५७ इरितो वा |
३. १. ५८ जृस्तम्भुम्रुचुम्लुचुग्रुचुग्लुचुग्लुञ्चुश्विभ्यश्च |
३. १. ५९ कृमृदृरुहिभ्यश्छन्दसि |
३. १. ६० चिण् ते पदः |
३. १. ६१ दीपजनबुधपूरितायिप्यायिभ्योऽन्यतरस्याम् |
३. १. ६२ अचः कर्मकर्तरि |
३. १. ६३ दुहश्च |
३. १. ६४ न रुधः |
३. १. ६५ तपोऽनुतापे च |
३. १. ६६ चिण् भावकर्मणोः |
३. १. ६७ सार्वधातुके यक् |
३. १. ६८ कर्तरि शप् |
३. १. ६९ दिवादिभ्यः श्यन् |
३. १. ७० वा भ्राशभ्लाशभ्रमुक्रमुक्लमुत्रसित्रुटिलषः |
३. १. ७१ यसोऽनुपसर्गात् |
३. १. ७२ संयसश्च |
३. १. ७३ स्वादिभ्यः श्नुः |
३. १. ७४ श्रुवः शृ च |
३. १. ७५ अक्षोऽन्यतरस्याम् |

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