२. १. १ समर्थः पदविधिः |
२. १. २ सुबामन्त्रिते पराङ्गवत् स्वरे |
२. १. ३ प्राक् कडारात् समासः |
२. १. ४ सह सुपा |
२. १. ५ अव्ययीभावः |
२. १. ६ अव्ययं विभक्तिसमीपसमृद्धि-
व्यृद्ध्यर्थाभावात्ययासम्प्रति-
शब्दप्रादुर्भावपश्चाद्यथाऽऽनुपूर्व्ययौगपद्यसादृश्य-
सम्पत्तिसाकल्यान्तवचनेषु |
२. १. ७ यथाऽसादृये |
२. १. ८ यावदवधारणे |
२. १. ९ सुप्प्रतिना मात्राऽर्थे |
२. १. १० अक्षशलाकासंख्याः परिणा |
२. १. ११ विभाषा |
२. १. १२ अपपरिबहिरञ्चवः पञ्चम्या |
२. १. १३ आङ् मर्यादाऽभिविध्योः |
२. १. १४ लक्षणेनाभिप्रती आभिमुख्ये |
२. १. १५ अनुर्यत्समया |
२. १. १६ यस्य चायामः |
२. १. १७ तिष्ठद्गुप्रभृतीनि च |
२. १. १८ पारे मध्ये षष्ठ्या वा |
२. १. १९ संख्या वंश्येन |
२. १. २० नदीभिश्च |
२. १. २१ अन्यपदार्थे च संज्ञायाम् |
२. १. २२ तत्पुरुषः |
२. १. २३ द्विगुश्च |
२. १. २४ द्वितीया श्रितातीतपतितगतात्यस्तप्राप्तापन्नैः |
२. १. २५ स्वयं क्तेन |
२. १. २६ खट्वा क्षेपे |
२. १. २७ सामि |
२. १. २८ कालाः |
२. १. २९ अत्यन्तसंयोगे च |
२. १. ३० तृतीया तत्कृतार्थेन गुणवचनेन |
२. १. ३१ पूर्वसदृशसमोनार्थकलहनिपुणमिश्रश्लक्ष्णैः |
२. १. ३२ कर्तृकरणे कृता बहुलम् |
२. १. ३३ कृत्यैरधिकार्थवचने |
२. १. ३४ अन्नेन व्यञ्जनम् |
२. १. ३५ भक्ष्येण मिश्रीकरणम् |
२. १. ३६ चतुर्थी तदर्थार्थबलिहितसुखरक्षितैः |
२. १. ३७ पञ्चमी भयेन |
२. १. ३८ अपेतापोढमुक्तपतितापत्रस्तैरल्पशः |
२. १. ३९ स्तोकान्तिकदूरार्थकृच्छ्राणि क्तेन |
२. १. ४० सप्तमी शौण्डैः |
२. १. ४१ सिद्धशुष्कपक्वबन्धैश्च |
२. १. ४२ ध्वाङ्क्षेण क्षेपे |
२. १. ४३ कृत्यैरृणे |
२. १. ४४ संज्ञायाम् |
२. १. ४५ क्तेनाहोरात्रावयवाः |
२. १. ४६ तत्र |
२. १. ४७ क्षेपे |
२. १. ४८ पात्रेसमितादयश्च |
२. १. ४९ पूर्वकालैकसर्वजरत्पुराणनवकेवलाः समानाधिकरणेन |
२. १. ५० दिक्संख्ये संज्ञायाम् |
२. १. ५१ तद्धितार्थोत्तरपदसमाहारे च |
२. १. ५२ संख्यापूर्वो द्विगुः |
२. १. ५३ कुत्सितानि कुत्सनैः |
२. १. ५४ पापाणके कुत्सितैः |
२. १. ५५ उपमानानि सामान्यवचनैः |
२. १. ५६ उपमितं व्याघ्रादिभिः सामान्याप्रयोगे |
२. १. ५७ विशेषणं विशेष्येण बहुलम् |
२. १. ५८ पूर्वापरप्रथमचरमजघन्यसमान-
मध्यमध्यमवीराश्च |
२. १. ५९ श्रेण्यादयः कृतादिभिः |
२. १. ६० क्तेन नञ्विशिष्टेनानञ् |
२. १. ६१ सन्महत्परमोत्तमोत्कृष्टाः पूज्यमानैः |
२. १. ६२ वृन्दारकनागकुञ्जरैः पूज्यमानम् |
२. १. ६३ कतरकतमौ जातिपरिप्रश्ने |
२. १. ६४ किं क्षेपे |
२. १. ६५ पोटायुवतिस्तोककतिपयगृष्टिधेनुवशा-
वेहत्बष्कयणीप्रवक्तॄ- श्रोत्रियाध्यापकधूर्तैर्जातिः |
२. १. ६६ प्रशंसावचनैश्च |
२. १. ६७ युवा खलतिपलितवलिनजरतीभिः |
२. १. ६८ कृत्यतुल्याख्या अजात्या |
२. १. ६९ वर्णो वर्णेन |
२. १. ७० कुमारः श्रमणाऽऽदिभिः |
२. १. ७१ चतुष्पादो गर्भिण्या |
२. १. ७२ मयूरव्यंसकादयश्च |

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