मनुष्या मानुषा मर्त्या मनुजा मानवा नराः| अथ मनुष्यवर्गः

स्युः पुमांसः पञ्चजनाः पुरुषाः पूरुषा नरः|
स्त्री योषिदबला योषा नारी सीमन्तिनी वधूः |

प्रतीपदर्शिनी वामा वनिता महिला तथा|
विशेषास्त्वङ्गना भीरुः कामिनी वामलोचना |

प्रमदा मानिनी कान्ता ललना च नितम्बिनी|
सुन्दरी रमणी रामा कोपना सैव भामिनी |

वरारोहा मत्तकाशिन्युत्तमा वरवर्णिनी|
क्।र्ताभिषेका महिषी भोगिन्योऽन्या न्।र्पस्त्रियः|

पत्नी पाणिग्।र्हीती च द्वितीया सहधर्मिणी|
भार्या जायाथ पुंभूम्नि दाराः स्यात्तु कुटुम्बिनी|

पुरंध्री सुचरित्रा तु सती साध्वी पतिव्रता|
क्।र्तसापत्निकाध्यूढाधिविन्नाथ स्वयंवरा|

पतिंवरा च वर्याथ कुलस्त्री कुलपालिका |
कन्या कुमारी गौरी तु नग्निकाऽनागतार्तवा|

स्यान्मध्यमा द्।र्ष्टरजास्तरुणी युवतिः समे|
समाः स्नुषाजनीवध्वश्चिरिण्टी तु सुवासिनी|

इच्छावती कामुका स्याद् व्।र्षस्यन्ती तु कामुकी|
कान्तार्थिनी तु या याति संकेतं साभिसारिका|

पुंश्चली धर्षिणी बन्धक्यसती कुलटेत्वरी|
स्वैरिणी पांसुला च स्यादशिश्वी शिशुना विना|

अवीरा निष्पतिसुता विश्वस्ताविधवे समे |
आलिः सखी वयस्याथ पतिवत्नी सभर्त्।र्का|

व्।र्द्धा पलिक्नी प्राज्ञी तु प्रज्ञा प्राज्ञा तु धीमती|
शूद्री शूद्रस्य भार्या स्याच्छूद्रा तज्जातिरेव च|

आभीरी तु महाशूद्री जातिपुंयोगयोः समा|
अर्याणी स्वयमर्या स्यात्क्षत्रिया क्षत्रियाण्यपि|

 

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