कर्मणि व प्रयोजकरुपे (तृ. पु. ए. व.) - १२
धातू | कर्मणिरूप | प्रयोजकरूप |
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वि + हा | विहीयते | विहापयति - ते |
प्र + हा | प्रहीयते | प्रहापयति - ते |
हा | हीयते | हापयति - ते |
हिंस् | हिंस्यते | हिंसयति - ते |
हिण्ड् | हिण्ड्यते | हिंण्डयति - ते |
प्र + हि | हीयते | प्रहाययते |
हिंस् | हिंस्यते | हिंसयति - ते |
हि | हीयते | हाययति - ते |
हु | हूयते | हवयति - ते |
सम् + हृ | संर्हियते | संहारयति - ते |
हृष् | हृष्यते | हर्षयति - ते |
वि + आ + हृ | व्याऱ्हियते | व्याहारयति - ते |
आ + हृ | आऱ्हियते | आहारयति - ते |
वि + हृ | विर्हियते | विहारयति - ते |
प्र + हृ | प्रर्हियते | प्रहारयति - ते |
परि + हृ | परिर्हियते | परिहारयति - ते |
उद् + हृ | उध्रियते | उद्धारयति - ते |
हृ | र्हियते | हारयति - ते |
अप + हृ | अपर्हियते | अपहारयति - ते |
आ + ह्वे | आहूयते | आह्वाययति- ते |
ह्वे | हूयते | ह्वाययति - ते |
क्षल् - क्षाल् | क्षाल्यते | क्षालयति- ते |
क्षम् | क्षम्यते | क्षमयति - ते |
प्र + क्षल् - क्षाल् | प्रक्षाल्यते | प्रक्षालयति - ते |
क्षि | क्षीयते | क्षाययति - ते |
क्षिप् | क्षिप्यते | क्षेपयति - ते |
नि + क्षिप् | निक्षिप्यते | निक्षेपयति - ते |
क्षुभ् | क्षुभ्यते | क्षोभयति - ते |
वि + ज्ञा | विज्ञायते | विज्ञापयति - ते |
ज्ञा | ज्ञायते | ज्ञापयति - ते |
प्रति + ज्ञा | प्रतिज्ञायते | प्रतिज्ञापयति - ते |
अनु + ज्ञा | अनुज्ञायते | अनुज्ञापयति - ते |