गरजत बरसत सावन आयो रे
गरजत बरसत सावन आयो रे,
गरजत बरसत सावन आयो रे
लायो न संग में, हमरे बिछड़े बलमवा
सखी का करूं हाय, गरजत बरसत सावन आयो रे
गरजत बरसत सावन
आयो रे सावन आयो, सावन आयो रे
गरजत बरसत सावन
रिमझिम-रिमझिम मेघा बरसे
रिमझिम-रिमझिम मेघा - बरसे - बरसे
रिमझिम-रिमझिम मेघा बरसे
तड़पे जियरवा मीन समान
पड़ गई पी की लाल चुनरिया
पिया नहीं आए
गरजत बरसत सावन आयो रे
गरजत बरसत सावन
पल पल छिन छिन पवन झकोरे
लागे तन पर तीर समान - तीर समान
सखी लागे तन पर तीर समान
नैनन ढले तो भीगी सजरिया
अगन लगाए
गरजत बरसत सावन आयो रे
लायो ना संग में, हमरे बिछड़े बलमवा
सखी का करूं हाय, गरजत बरसत सावन आयो
लायो ना - संग में - हमरे - बिछड़े - बलमवा
सखी का करूं हाय रे हाय
गर्जयन् वर्षन् श्रावण एतो रे,
नानयत् साकं मदीयं वियुक्तं प्रेमिणम्
सखि, किं करिष्ये? हन्त, हन्त!
गर्जयन् वर्षन् श्रावण एतो रे, 'ध्रु'
रिमझिम रिमझिम मेघो वर्षति,
रिमझिम रिमझिम मेघो वर्षति,
रिमझिम रिमझिम मेघो वर्षति,
क्षोभते मानसं मीन इव,
जातं निष्प्रभं रक्तं दुकूलम्
प्रियो नैत: / नैति.
गर्जयन् वर्षन् श्रावण एतो रे, -1-
>सततं सवेगं वातो वाति,
प्रहरति काये बाण इव.
सखि, प्रहरति काये बाण इव.
निमिषार्धे मे क्लिद्यते दुकूलम्
बाधते तीव्रम्/ शैत्यम्
गर्जयन् वर्षन् श्रावण एतो रे,
गर्जयन् वर्षन् श्रावण एतो रे,
नानयत् साकं मदीयं वियुक्तं प्रेमिणम्
सखि, हन्त, हन्त!/ किं करिष्ये? -2-