८. ४. १ रषाभ्यां नो णः समानपदे |
८. ४. २ अट्कुप्वाङ्नुम्व्यवायेऽपि |
८. ४. ३ पूर्वपदात् संज्ञायामगः |
८. ४. ४ वनं पुरगामिश्रकासिध्रकाशारिकाकोटराऽग्रेभ्यः |
८. ४. ५ प्रनिरन्तःशरेक्षुप्लक्षाम्रकार्ष्यखदिर-
पियूक्षाभ्योऽसंज्ञायामपि |
८. ४. ६ विभाषौषधिवनस्पतिभ्यः |
८. ४. ७ अह्नोऽदन्तात् |
८. ४. ८ वाहनमाहितात् |
८. ४. ९ पानं देशे |
८. ४. १० वा भावकरणयोः |
८. ४. ११ प्रातिपदिकान्तनुम्विभक्तिषु च |
८. ४. १२ एकाजुत्तरपदे णः |
८. ४. १३ कुमति च |
८. ४. १४ उपसर्गादसमासेऽपि णोपदेशस्य |
८. ४. १५ हिनुमीना |
८. ४. १६ आनि लोट् |
८. ४. १७ नेर्गदनदपतपदघुमास्यतिहन्तियातिवातिद्रातिप्साति-
वपतिवहतिशाम्यतिचिनोतिदेग्धिषु च |
८. ४. १८ शेषे विभाषाऽकखादावषान्त उपदेशे |
८. ४. १९ अनितेः |
८. ४. २० अन्तः |
८. ४. २१ उभौ साभ्यासस्य |
८. ४. २२ हन्तेरत्पूर्वस्य |
८. ४. २३ वमोर्वा |
८. ४. २४ अन्तरदेशे |
८. ४. २५ अयनं च |
८. ४. २६ छन्दस्यृदवग्रहात् |
८. ४. २७ नश्च धातुस्थोरुषुभ्यः |
८. ४. २८ उपसर्गाद् बहुलम् |
८. ४. २९ कृत्यचः |
८. ४. ३० णेर्विभाषा |
८. ४. ३१ हलश्च इजुपधात् |
८. ४. ३२ इजादेः सनुमः |
८. ४. ३३ वा निंसनिक्षनिन्दाम् |
८. ४. ३४ न भाभूपूकमिगमिप्यायीवेपाम् |
८. ४. ३५ षात् पदान्तात् |
८. ४. ३६ नशेः षान्तस्य |
८. ४. ३७ पदान्तस्य |
८. ४. ३८ पदव्यवायेऽपि |
८. ४. ३९ क्षुभ्नाऽऽदिषु च |
८. ४. ४० स्तोः श्चुना श्चुः |
८. ४. ४१ ष्टुना ष्टुः |
८. ४. ४२ न पदान्ताट्टोरनाम् |
८. ४. ४३ तोः षि |
८. ४. ४४ शात् |
८. ४. ४५ यरोऽनुनासिकेऽनुनासिको वा |
८. ४. ४६ अचो रहाभ्यां द्वे |
८. ४. ४७ अनचि च |
८. ४. ४८ नादिन्याक्रोशे पुत्रस्य |
८. ४. ४९ शरोऽचि |
८. ४. ५० त्रिप्रभृतिषु शाकटायनस्य |
८. ४. ५१ सर्वत्र शाकल्यस्य |
८. ४. ५२ दीर्घादाचार्याणाम् |
८. ४. ५३ झलां जश् झशि |
८. ४. ५४ अभ्यासे चर्च्च |
८. ४. ५५ खरि च |
८. ४. ५६ वाऽवसाने |
८. ४. ५७ अणोऽप्रगृह्यस्यानुनासिकः |
८. ४. ५८ अनुस्वारस्य ययि परसवर्णः |
८. ४. ५९ वा पदान्तस्य |
८. ४. ६० तोर्लि |
८. ४. ६१ उदः स्थास्तम्भोः पूर्वस्य |
८. ४. ६२ झयो होऽन्यतरस्याम् |
८. ४. ६३ शश्छोऽटि |
८. ४. ६४ हलो यमां यमि लोपः |
८. ४. ६५ झरो झरि सवर्णे |
८. ४. ६६ उदात्तादनुदात्तस्य स्वरितः |
८. ४. ६७ नोदात्तस्वरितोदयमगार्ग्यकाश्यपगालवानाम् |
८. ४. ६८ अ अ इति |