७. ३. १ देविकाशिंशपादित्यवाड्दीर्घसत्रश्रेयसामात् |
७. ३. २ केकयमित्त्रयुप्रलयानां यादेरियः |
७. ३. ३ न य्वाभ्यां पदान्ताभ्याम् पूर्वौ तु ताभ्यामैच् |
७. ३. ४ द्वारादीनां च |
७. ३. ५ न्यग्रोधस्य च केवलस्य |
७. ३. ६ न कर्मव्यतिहारे |
७. ३. ७ स्वागतादीनां च |
७. ३. ८ श्वादेरिञि |
७. ३. ९ पदान्तस्यान्यतरस्याम् |
७. ३. १० उत्तरपदस्य |
७. ३. ११ अवयवादृतोः |
७. ३. १२ सुसर्वार्धाज्जनपदस्य |
७. ३. १३ दिशोऽमद्राणाम् |
७. ३. १४ प्राचां ग्रामनगराणाम् |
७. ३. १५ संख्यायाः संवत्सरसंख्यस्य च |
७. ३. १६ वर्षस्याभविष्यति |
७. ३. १७ परिमाणान्तस्यासंज्ञाशाणयोः |
७. ३. १८ जे प्रोष्ठपदानाम् |
७. ३. १९ हृद्भगसिन्ध्वन्ते पूर्वपदस्य च |
७. ३. २० अनुशतिकादीनां च |
७. ३. २१ देवताद्वंद्वे च |
७. ३. २२ नेन्द्रस्य परस्य |
७. ३. २३ दीर्घाच्च वरुणस्य |
७. ३. २४ प्राचां नगरान्ते |
७. ३. २५ जङ्गलधेनुवलजान्तस्य विभाषितमुत्तरम् |
७. ३. २६ अर्धात् परिमाणस्य पूर्वस्य तु वा |
७. ३. २७ नातः परस्य |
७. ३. २८ प्रवाहणस्य ढे |
७. ३. २९ तत्प्रत्ययस्य च |
७. ३. ३० नञः शुचीश्वरक्षेत्रज्ञकुशलनिपुणानाम् |
७. ३. ३१ यथातथयथापुरयोः पर्यायेण |
७. ३. ३२ हनस्तोऽचिण्णलोः |
७. ३. ३३ आतो युक् चिण्कृतोः |
७. ३. ३४ नोदात्तोपदेशस्य मान्तस्यानाचमेः |
७. ३. ३५ जनिवध्योश्च |
७. ३. ३६ अर्त्तिह्रीब्लीरीक्नूयीक्ष्माय्यातां पुङ्णौ |
७. ३. ३७ शाच्छासाह्वाव्यावेपां युक् |
७. ३. ३८ वो विधूनने जुक् |
७. ३. ३९ लीलोर्नुग्लुकावन्यतरस्यां स्नेहविपातने |
७. ३. ४० भियो हेतुभये षुक् |
७. ३. ४१ स्फायो वः |
७. ३. ४२ शदेरगतौ तः |
७. ३. ४३ रुहः पोऽन्यतरस्याम् |
७. ३. ४४ प्रत्ययस्थात् कात् पूर्वस्यात इदाप्यसुपः |
७. ३. ४५ न यासयोः |
७. ३. ४६ उदीचामातः स्थाने यकपूर्वायाः |
७. ३. ४७ भस्त्रैषाऽजाज्ञाद्वास्वानञ्पूर्वाणामपि |
७. ३. ४८ अभाषितपुंस्काच्च |
७. ३. ४९ आदाचार्याणाम् |
७. ३. ५० ठस्येकः |
७. ३. ५१ इसुसुक्तान्तात् कः |
७. ३. ५२ चजोः कु घिन्ण्यतोः |
७. ३. ५३ न्यङ्क्वादीनां च |
७. ३. ५४ हो हन्तेर्ञ्णिन्नेषु |
७. ३. ५५ अभ्यासाच्च |
७. ३. ५६ हेरचङि |
७. ३. ५७ सन्लिटोर्जेः |
७. ३. ५८ विभाषा चेः |
७. ३. ५९ न क्वादेः |
७. ३. ६० अजिवृज्योश्च |
७. ३. ६१ भुजन्युब्जौ पाण्युपतापयोः |
७. ३. ६२ प्रयाजानुयाजौ यज्ञाङ्गे |
७. ३. ६३ वञ्चेर्गतौ |
७. ३. ६४ ओक उचः के |
७. ३. ६५ ण्य आवश्यके |
७. ३. ६६ यजयाचरुचप्रवचर्चश्च |
७. ३. ६७ वचोऽशब्दसंज्ञायाम् |
७. ३. ६८ प्रयोज्यनियोज्यौ शक्यार्थे |
७. ३. ६९ भोज्यं भक्ष्ये |
७. ३. ७० घोर्लोपो लेटि वा |
७. ३. ७१ ओतः श्यनि |
७. ३. ७२ क्सस्याचि |
७. ३. ७३ लुग्वा दुहदिहलिहगुहामात्मनेपदे दन्त्ये |
७. ३. ७४ शमामष्टानां दीर्घः श्यनि |
७. ३. ७५ ष्ठिवुक्लम्याचमां शिति |
७. ३. ७६ क्रमः परस्मैपदेषु |
७. ३. ७७ इषुगमियमां छः |
७. ३. ७८ पाघ्राध्मास्थाम्नादाण्दृश्यर्त्तिसर्त्तिशदसदां
पिबजिघ्रधमतिष्ठमनयच्छपश्यर्च्छधौशीयसीदाः |
७. ३. ७९ ज्ञाजनोर्जा |
७. ३. ८० प्वादीनां ह्रस्वः |
७. ३. ८१ मीनातेर्निगमे |
७. ३. ८२ मिदेर्गुणः |
७. ३. ८३ जुसि च |
७. ३. ८४ सार्वधातुकार्धधातुकयोः |
७. ३. ८५ जाग्रोऽविचिण्णल्ङित्सु |
७. ३. ८६ पुगन्तलघूपधस्य च |
७. ३. ८७ नाभ्यस्तस्याचि पिति सार्वधातुके |
७. ३. ८८ भूसुवोस्तिङि |
७. ३. ८९ उतो वृद्धिर्लुकि हलि |
७. ३. ९० ऊर्णोतेर्विभाषा |
७. ३. ९१ गुणोऽपृक्ते |
७. ३. ९२ तृणह इम् |
७. ३. ९३ ब्रुव ईट् |
७. ३. ९४ यङो वा |
७. ३. ९५ तुरुस्तुशम्यमः सार्वधातुके |
७. ३. ९६ अस्तिसिचोऽपृक्ते |
७. ३. ९७ बहुलं छन्दसि |
७. ३. ९८ रुदश्च पञ्चभ्यः |
७. ३. ९९ अड्गार्ग्यगालवयोः |
७. ३. १०० अदः सर्वेषाम् |
७. ३. १०१ अतो दीर्घो यञि |
७. ३. १०२ सुपि च |
७. ३. १०३ बहुवचने झल्येत् |
७. ३. १०४ ओसि च |
७. ३. १०५ आङि चापः |
७. ३. १०६ सम्बुद्धौ च |
७. ३. १०७ अम्बाऽर्थनद्योर्ह्रस्वः |
७. ३. १०८ ह्रस्वस्य गुणः |
७. ३. १०९ जसि च |
७. ३. ११० ऋतो ङिसर्वनामस्थानयोः |
७. ३. १११ घेर्ङिति |
७. ३. ११२ आण्नद्याः |
७. ३. ११३ याडापः |
७. ३. ११४ सर्वनाम्नः स्याड्ढ्रस्वश्च |
७. ३. ११५ विभाषा द्वितीयातृतीयाभ्याम् |
७. ३. ११६ ङेराम्नद्याम्नीभ्यः |
७. ३. ११७ इदुद्भ्याम् |
७. ३. ११८ औत् |
७. ३. ११९ अच्च घेः |
७. ३. १२० आङो नाऽस्त्रियाम् |

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