६. ४. १ अङ्गस्य |
६. ४. २ हलः |
६. ४. ३ नामि |
६. ४. ४ न तिसृचतसृ |
६. ४. ५ छन्दस्युभयथा |
६. ४. ६ नृ च |
६. ४. ७ नोपधायाः |
६. ४. ८ सर्वनामस्थाने चासम्बुद्धौ |
६. ४. ९ वा षपूर्वस्य निगमे |
६. ४. १० सान्तमहतः संयोगस्य |
६. ४. ११
अप्तृन्तृच्स्वसृनप्तृनेष्टृत्वष्टृक्षत्तृहोतृपोतॄ-
प्रशास्तॄणाम् |
६. ४. १२ इन्हन्पूषार्यम्णां शौ |
६. ४. १३ सौ च |
६. ४. १४ अत्वसन्तस्य चाधातोः |
६. ४. १५ अनुनासिकस्य क्विझलोः क्ङिति |
६. ४. १६ अज्झनगमां सनि |
६. ४. १७ तनोतेर्विभाषा |
६. ४. १८ क्रमश्च क्त्वि |
६. ४. १९ च्छ्वोः शूडनुनासिके च |
६. ४. २० ज्वरत्वरश्रिव्यविमवामुपधायाश्च |
६. ४. २१ राल्लोपः |
६. ४. २२ असिद्धवदत्राभात् |
६. ४. २३ श्नान्नलोपः |
६. ४. २४ अनिदितां हल उपधायाः क्ङिति |
६. ४. २५ दन्शसञ्जस्वञ्जां शपि |
६. ४. २६ रञ्जेश्च |
६. ४. २७ घञि च भावकरणयोः |
६. ४. २८ स्यदो जवे |
६. ४. २९ अवोदैधौद्मप्रश्रथहिमश्रथाः |
६. ४. ३० नाञ्चेः पूजायाम् |
६. ४. ३१ क्त्वि स्कन्दिस्यन्दोः |
६. ४. ३२ जान्तनशां विभाषा |
६. ४. ३३ भञ्जेश्च चिणि |
६. ४. ३४ शास इदङ्हलोः |
६. ४. ३५ शा हौ |
६. ४. ३६ हन्तेर्जः |
६. ४. ३७ अनुदात्तोपदेशवनतितनोत्यादीनामनुनासिकलोपो झलि क्ङिति |
६. ४. ३८ वा ल्यपि |
६. ४. ३९ न क्तिचि दीर्घश्च |
६. ४. ४० गमः क्वौ |
६. ४. ४१ विड्वनोरनुनासिकस्यात् |
६. ४. ४२ जनसनखनां सञ्झलोः |
६. ४. ४३ ये विभाषा |
६. ४. ४४ तनोतेर्यकि |
६. ४. ४५ सनः क्तिचि लोपश्चास्यान्यतरस्याम् |
६. ४. ४६ आर्धधातुके |
६. ४. ४७ भ्रस्जो रोपधयोः रमन्यतरस्याम् |
६. ४. ४८ अतो लोपः |
६. ४. ४९ यस्य हलः |
६. ४. ५० क्यस्य विभाषा |
६. ४. ५१ णेरनिटि |
६. ४. ५२ निष्ठायां सेटि |
६. ४. ५३ जनिता मन्त्रे |
६. ४. ५४ शमिता यज्ञे |
६. ४. ५५ अयामन्ताल्वाय्येत्न्विष्णुषु |
६. ४. ५६ ल्यपि लघुपूर्वात् |
६. ४. ५७ विभाषाऽऽपः |
६. ४. ५८ युप्लुवोर्दीर्घश्छन्दसि |
६. ४. ५९ क्षियः |
६. ४. ६० निष्ठायां अण्यदर्थे |
६. ४. ६१ वाऽऽक्रोशदैन्ययोः |
६. ४. ६२ स्यसिच्सीयुट्तासिषु भावकर्मणोर्-
उपदेशेऽज्झनग्रहदृशां वा चिण्वदिट् च |
६. ४. ६३ दीङो युडचि क्ङिति |
६. ४. ६४ आतो लोप इटि च |
६. ४. ६५ ईद्यति |
६. ४. ६६ घुमास्थागापाजहातिसां हलि |
६. ४. ६७ एर्लिङि |
६. ४. ६८ वाऽन्यस्य संयोगादेः |
६. ४. ६९ न ल्यपि |
६. ४. ७० मयतेरिदन्यतरस्याम् |
६. ४. ७१ लुङ्लङ्लृङ्क्ष्वडुदात्तः |
६. ४. ७२ आडजादीनाम् |
६. ४. ७३ छन्दस्यपि दृश्यते |
६. ४. ७४ न माङ्योगे |
६. ४. ७५ बहुलं छन्दस्यमाङ्योगेऽपि |
६. ४. ७६ इरयो रे |
६. ४. ७७ अचि श्नुधातुभ्रुवां य्वोरियङुवङौ |
६. ४. ७८ अभ्यासस्यासवर्णे |
६. ४. ७९ स्त्रियाः |
६. ४. ८० वाऽम्शसोः |